अगर पर्यावरण में घुले जहर से हो रहे हैं बीमार तो बता देगी एम्स की लैब

अगर पर्यावरण में घुले जहर से हो रहे हैं बीमार तो बता देगी एम्स की लैब

 

रोहित पाल

देश मे आज प्रदूषण बहुत बड़ी समस्या बना हुई है। वातावरण में घुला जहर अंदर ही अंदर लोगों को बीमार कर रहा है। हांलाकि सरकार इससे निपटने के तरीकों को अपना रही है। प्रदूषण से निपटने के लिए नए नियमों को भी लागू किया जा रहा है। इस पर काबू पाने के लिए शोध भी किया जा रहा है। प्रदूषण से कई बीमारियां का खतरा है आप बीमार हो जाते हैं और उसका कारण नही पता चल पाता है। लेकिन अब अगर प्रर्यावरण में घुला जहर आप को बीमार करेगा तो एम्स अपनी क्लीनिकल ईकोटॉक्सिकोलॉजी लैब से इसका पता लगा लेगा। मरीज के सैंपल से बीमारी के कारणों का पता चलेगा और कोशिश रहेगी कि परिवार का कोई और सदस्य उस वजह से बीमारी की चपेट में न आ पाए।

अगर आप जहरीली हवा, पानी और खाने की वजह से बीमार हुए हैं तो एम्स की लैब मे इसका पता चल जायेगा। आपको बता दूं कि पर्यावरण में घुले जहर से होने वाली बीमारी का पता लगाने वाली देश की पहली लैब है।

वहीं एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया कहा कि हम एयर पॉल्युशन का बात करें, सॉइल पॉल्युशन की बात करें या वाटर पॉल्युशन की बात करें। जितना शुद्ध वातावरण 30-40 साल पहले था वैसा अब नही है। अब तो वातावरण में जहर फैल गया है जो कि लोगों को बीमार कर रहा है और इसका पता अलग-अलग सैंपल के जरिए लगाया जायेगा।

आपको बता दूं कि एम्स की यह लैब 1 करोड़ रुपय की लागत से तैयार हुई है। जिसके द्वारा सैंपल में हेवी केमिकल्स की मौजूदगी का पता चलेगा। इसके लिए मरीजों को 25 रुपये से लेकर 1500 रुपये खर्च करने पडेगें। ईकोटॉक्सिकोलॉजी विभाग के डॉ. जावेद कादरी ने बताया कि 262 सैंपल की जांच मे 32 सैंपल पॉजिटिव आये हैं जिसमें अलग-अलग तत्वों की मौजूदगी पायी गयी है।

इसमें आर्सेनिक फ्लोरॉइड़, लेड़, कैडमियम, मैगजीन, आयरन जैसे हैवी मेटल्स पाये गये हैं। इससे कैंसर, किडनी की बीमारी, बच्चों में ऑटिज्म जैसी समस्याओं को देखा गया है। बीमारी के बढते ग्राफ को देखते हुए यह कोशिश की गया है ताकि परिवार में लोगों को आगाह किया जा सके कि वह ऐसी चीजों का इस्तेमाल न करें जिससे उनके अपने बीमार हों।

 

 

 

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